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आज हम आपको भूतिया स्कूल की भूतिया कहानी सुनाएंगे। 

Bhutiya-School

यह कहानी मोहनपुर गांव की है। इस गांव में सिर्फ एक ही स्कूल है। उसी गांव में रमेश नाम का एक आदमी अपने घर पर अपनी पत्नी मीनल के साथ बातें कर रहा था। 

मीनल - आप क्या रोज रोज शराब पीकर आते हो। चलो रात काफी गहरी हो गई है अब तुरंत सो जाओ। 

रमेश - मुझे सोना नहीं है। अभी मुझे प्रिंसिपल साहब का कॉल आया था, उन्होंने आज रात स्कूल की सफाई करने के लिए कहा है। लॉकडॉउन के बाद कल से स्कूल शुरू होने जा रहे हैं। हमेशा की तरह मुझे स्कूल के चपरासी की नौकरी करनी पड़ेगी। चलो मैं अब जा रहा हूं।

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मीनल - स्कूल में क्यों जा रहे हो आप, कल सुबह जाकर स्कूल में सफाई कर देना। 

मैं चलता हूं। यह कहकर रमेश रात के समय स्कूल में चला जाता है और एक हाथ में शराब की बोतल लेता है और स्कूल के गेट के बाहर जाकर खड़ा हो जाता है।

रमेश - यहां स्कूल की चपरासी की नौकरी लगी है तब से ना चैन है ना सुकून है। अच्छा लॉकडाउन में घर पर ही बैठने को मिल रहा था। मस्ती करने को मिल रही थी और अब कल से फिर वही घिसी पीटी जिंदगी, यही अपना भाग्य है। 

तभी अचानक स्कूल का गेट अपने आप खुलने लगता है रमेश शराब के नशे में था।

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ये गेट अपने आप कैसे खुल गया? ना हवा है ना तूफान फिर भी गेट अपने आप खुल गया। अंदर चल कर देखते हैं 2 साल में क्या कुछ बदला है इस खाली स्कूल में।

रमेश धीरे धीरे स्कूल में जाता है। 

रमेश - अपना रूम पे आ गया। इसे खोल कर इसमें से झाड़ू ले लेता हूं। तभी स्टोर रूम का दरवाजा भी अपने आप ही खुल जाता है। लॉकडॉउन में यहां सब कुछ ऑटोमैटिक हो गया लगता है।

रमेश टॉर्च लेकर सफाई करने जाता है। तभी टॉर्च बंद हो जाती है।

अबे क्या हुआ, अपने आप कैसे बंद हो गई। अब तक तो ठीक ठाक चल रही थी। अंधेरे में आते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है इसने। 

रमेश रूम की लाइट शुरू कर देता हूं। रूम की लाइट शुरू कर देता है। तभी उसकी नजर झाड़ू पर पड़ती है जो उड़ते हुए अपने आप ही रमेश के हाथ में आ जाती है। यह सब देखकर होश उड़ जाते हैं। और कुछ समय के लिए एकदम खामोश हो जाता है।

अब यह कैसे हुआ यह झाड़ू अपने आप मेरे हाथ में कैसे आ गई। क्या हो रहा है यहां।

रमेश दरवाजे की तरफ भागता है लेकिन तभी दरवाजा बंद हो जाता है। रमेश दरवाजा खोलने की कोशिश करता है लेकिन दरवाजा नहीं खुल पाता।

रमेश - अरे यह दरवाजा कैसे बंद हो गया और यह खुल क्यों नहीं रहा। यह सब क्या हो रहा है मेरे साथ। लाइट क्यों अपने आप चालू बंद हो रही है रूम की। तभी कुछ भूतों के हंसने की आवाज आती है।

कल से इस स्कूल का पहला दिन है लेकिन आज तेरी जिंदगी का आखिरी दिन है।

कौन.... कौन.... कौन है यहां,,,,,, तभी रूम की लाइट बंद हो जाती हैं। रूम में बहुत ज्यादा अंधेरा था। रमेश को खुद की सास की आवाज भी सुनाई दे रही थी।

अरे यह दरवाजा कहां चला गया। कितना अंधेरा है यहां। मिल गया दरवाजा। रमेश जैसे ही दरवाजे को खोलता है तभी लाइट शुरू हो जाती हैं और उसके सामने एक भयानक भूत खड़ा होता है। जिसको देखकर रमेश की आंख फटी की फटी रह जाती हैं और रमेश वहीं बेहोश हो जाता है।

रमेश की पत्नी मीनल - अरे पूरी रात बीत गई, लेकिन यह अभी तक घर पर नहीं लौटे। लगता है कल रात वहीं सो गए होंगे। 

तभी रमेश हड़बड़ा का हुआ दौड़ता दौड़ता आता है। भूत... भूत.... भूत.... 

सभी गांव वाले रमेश को देखकर वहां आ जाते हैं। अरे क्या हुआ रमेश भाई इतने घबराए हुए, इतने डरे हुए क्यों है। कोई भूत देख लिया क्या? कहकर सभी जोर से हसने लगते है....हा हा हा हा 

रमेश - हां.. हां... हां भाई मैंने भूत ही देखा है। कल रात मैंने स्कूल में भूत देखा है।

पडोसी - अच्छा तो तुम चपरासी की नौकरी रात में भी करते हो। 

रमेश - यह कोई हंसी मजाक का समय नहीं है। सच में मैंने कल रात स्कूल में भूत देखा। 

मीनल - यह सब क्या बोल रहे हो, आप भूत वूत कुछ नहीं होता।

रमेश - आप सब मेरी बात का यकीन करो। मैं झूठ नहीं बोल रहा। आप भी किसी बच्चे को उसे भूतिया स्कूल में मत जाने देना। वह बहुत ही खतरनाक भूत हैं। 

पड़ोसी - बस भी करो यार रमेश। क्यों हमारे बच्चों को डरा रहे हो। लॉकडाउन के बाद आज स्कूल खुला है। कम से कम अब तो इन्हें पढ़ाई करने दो।

पड़ोसी - अरे... यह रमेश तो रात दिन शराब के नशे में डूबा रहता है। इसे कहा कोई भूत दिखेगा, भूत तो खुद इसको देख कर भाग जाएगा..... हा हा हा हा सभी गांव वाले मिलकर रमेश की बात का मजाक बनाने लगे और उस पर हंसने लगे।

किसी ने भी रमेश की बात का विश्वास नहीं किया।

गांव के सारे बच्चे स्कूल जाने के लिए निकल गए। उसी स्कूल में रमेश का पडोसी कैलाश का बेटा अजय और उसके कुछ दोस्त स्कूल जाते थे। 

अजय - अरे यार यश, यह क्या फिर हमें स्कूल जाना पड़ रहा है। कितना अच्छा लग रहा था ना छुट्टियों में।

यश - हां यार मैं तो रोज सुबह देर तक सोता रहता था।लेकिन आज से सुबह जल्दी उठना होगा। 

अजय - रमेश अंकल को सच में तो भूत नहीं दिखा था स्कूल में। उन्होंने तो चपरासी की नौकरी भी छोड़ दी और सबके सामने उन्होंने कहा कि वह चपरासी की नौकरी छोड़ रहे हैं। 

अरे कुछ नहीं भाई अजय रमेश अंकल हमेशा शराब के नशे में रहते हैं। शायद उन्होंने कुछ और देख लिया होगा और वह उसे भूत समझ बैठे।

अजय - हां ऐसा ही कुछ हुआ होगा। सभी बच्चे स्कूल में चले आते हैं। 

अजय अपने दोस्तों के साथ क्लास में जाकर बैठ जाता है। तभी महेश टीचर क्लास में आते हैं। 

सारे बच्चे खड़े होकर गुड मॉर्निंग कहते हैं। 

महेश टीचर - गुड मॉर्निंग बच्चों, बैठिए। सारे बच्चे बैठ जाते हैं।

तभी अजय नजर महेश टीचर की पैंट की जिप पर पड़ती है, जो खुली हुई थी। हा हा हा हा 

महेश टीचर - क्या हुआ अजय हंस क्यों रहे हो?

अजय - हा हा हा सर जी आप नीचे तो देखो, आपकी किराना दुकान खुली पड़ी है। उसे तो बंद कीजिए। 

हा हा हा हा क्लास में बैठे सभी बच्चे जोर जोर से हंसने लगते हैं। 

महेश टीचर - चुप हो जाओ सब, अजय तुझे शर्म नहीं आती इस तरह की बातें कहते हुए। 

अजय - अरे सर सामने से सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था, इसलिए मैंने कह दिया आपको। हा हा हा हा हा 

महेश टीचर - अपनी पैंट की जिप लगाने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन वह ऊपर ही नहीं होती। 

महेश बढ़बढ़ाते हुए इस जिप को क्या हो गया। अब सारे बच्चों के सामने ऊपर क्यों नहीं हो रही। सारे बच्चों के सामने मजाक बना कर रखा है इसने तो मेरा। 

अजय - अरे रहने दीजिए सर, कहीं टूट गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे। 

महेश टीचर - खामोश हो जाओ बच्चों। 

महेश तुरंत बाथरूम की ओर भागता है। अरे इसको क्या हुआ, यह ऊपर क्यों नहीं हो रही।

तभी महेश के पीछे एक भूत आकर खड़ा हो जाता है.... हा हा हा हा हा 

दो एकम दो दो दूनी चार मास्टर तेरी पेंट की जिप अब ऊपर नहीं होगी यार..... हा हा हा हा हा हा 

अरे बाप रे बाप...

एक और एक ग्यारह तेरे टुकड़े होंगे 12..... हा हा हा हा हा हा 

महेश - बचाओ.... बचाओ... कोई मुझे बचाओ.. इस भूत से कोई मुझे बचाओ।

आठ में पांच मिलाओ तो होते हैं तेरह, तू क्या बिगाड़ लेगा मास्टर अब मेरा...... आ हा हा हा हा हा 

तभी वह भूत महेश टीचर का सर धड़ से अलग कर देता है और महेश टीचर का सर लेकर क्लास में बच्चों के सामने फेंक देता है।

अरे यह क्या महेश सर का धड़ कहां गया। सारे बच्चे जोर जोर से रोने लगते है। तभी वह भूतिया लोग क्लास में सारे बच्चों के सामने आ जाते है। 

दूसरे सारे टीचर और दूसरे क्लास के सभी बच्चे वहां से भाग जाते है। बस अजय और उसकी क्लास के बच्चे ही उन भूतों के सामने फस जाते है।

अरे अजय यह तो कई सारे भूत हैं और इन्होंने तो सर को भी मार दिया लगता है। अब यह हमें भी मार देंगे हमें किसी भी तरह यहां से भागना होगा। 

अचानक क्लास में सभी भाग दौड़ करने लग जाते है। तभी अजय और वीरू और यश तीनों मिलकर स्कूल के गार्डन में भाग जाते है और वीरू जोर जोर से रोने लगता है। 

अजय - अरे चुप करो वरना भूतिया लोग यहां भी आ जाएंगे।

यश - अजय भाई यहां से भागे कैसे? स्कूल का गेट तो इन भूतिया लोगों ने बंद कर दिया है। अब हम कैसे घर जाएंगे।

अजय - चलो अब हम दीवार से बाहर की और कूदने की कोशिश करते है। 

वीरू - अरे यह दिवारी कितनी ऊची है। यहां से कैसे जाएंगे हम। कोशिश तो करना होगा ना। रात होने को आई है, रात होने से पहले हम मैं यहां से भागना होगा,वरना हम भी यहां मारे जाएंगे।

यशवीर अजय अजय तीनों दीवार के पास जाते हैं और दीवार पर चढ़ने की कोशिश करता है, लेकिन उस दीवार पर चढ नहीं पाते हैं। बहुत कोशिश करने के बाद भी वे दीवार पर चढ़ने में नाकाम रहते हैं। 

वीरू - यार जब भी हम इस दीवार पर चढ़ने जा रहे हैं तभी हम नीचे कैसे आ जा रहे हैं। हाय मुझे तो ऐसा लगता है कि यह सब उन भूतों की शक्तियों से हो रहा है। उन्होंने इस स्कूल को चारों ओर से बंद कर दिया है। 

हम बाहर कैसे निकलेंगे। तभी स्कूल के अंदर वह भूत बच्चों को मार देते हैं। बच्चों की चीखें सुनकर अजय वीरू और यश बहुत डर जाते हैं। और आखिरकार तीनों थक हार कर गार्डन में बनी एक बेंच पर बैठ जाता है। 

अरे भाई मैं तो बहुत थक गया हूं। अब लगता है अब हम भी उन भूतों के हाथों मारे जाएंगे। हम यहां से कैसे भी करके निकलना होगा। अंधेरा होने से पहले हमें इस भूतिया स्कूल से भागना होगा। अरे चारों ओर के रास्ते बंद है। अब हम यहां से कैसे भागेंगे तीनों बातें कर रहे थे। तभी अजय के पीछे एक भूत आकर खड़ा हो जाता है। यश जैसे ही भूत को देखता है उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं।

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